यक्षिणी साधना के खतरे और सावधानी जानिए कुछ खास बाते

यक्षिणी साधना के खतरे साधना की विधि और नियम के बारे में जानने के बाद ही इस साधना को करना चाहिए.

इस बात में कोई शक नहीं की यक्षिणी साधना विधि दूसरी साधनाओ की तुलना में आसान होती है लेकिन, यक्षिणी कितनी खतरनाक हो सकती है इसके बारे में आपको पता होना चाहिए.

यक्षिणी साधना करने से हमें धन और सुख की प्राप्ति होती है जिसकी वजह से हम लाइफ में जो चाहे हासिल कर सकते है. यक्षिणी के 36 प्रकार है और अलग अलग उदेश्य के यक्षिणी साधना की विधि को किया जाता है.

यक्षिणी साधना के खतरे और सावधानी

यक्षिणी साधना की विधि को पूरा करना आसान नहीं है लेकिन, इसे पूरा करने के बाद आपकी लाइफ में किसी चीज की कमी नहीं रहती है. सही तरह से साधना ना होने की वजह से यक्षिणी साधना के खतरे आपको झेलने पड़ सकते है.

यक्षिणी साधना के फायदे ही नहीं नुकसान भी है जिसके बारे में आपको पहले ही जान लेना चाहिए और सही जानकारी के साथ यक्षिणी साधना को पूरा करना चाहिए.

यक्षिणी साधना के खतरे और सावधानी

अगर आप अधूरी जानकारी के साथ यक्षिणी साधना कर रहे है तो आपको फायदे की जगह नुकसान उठाना पड़ सकता है. बेहतर होगा की साधना से पहले आप यक्षिणी के प्रकार और किस उदेश्य से कौनसी यक्षिणी की साधना की जानी चाहिए इसके बारे में सही से जानकारी हो.

यक्षिणी वास्तव में कौन है ? हमारे निकट के वायुमंडल में विचरण करने वाली शक्ति में यक्ष और यक्षिणी सबसे शक्तिशाली है. ऐसा माना जाता है की अगर इनकी साधना की जाए तो ये जल्दी फलित होती है.

सबसे ज्यादा की जाने वाली यक्षिणी साधना निम्न है

  • सुर सुंदरी यक्षिणी साधना
  • मनोहरी यक्षिणी
  • कनकवती यक्षिणी साधना
  • कामेश्वरी यक्षिणी साधना
  • रति प्रिय यक्षिणी साधना
  • पघिनी यक्षिणी
  • नटि यक्षिणी
  • अनुरागिनी यक्षिणी साधना

यक्षिणी साधना से पहले की तैयारी

यक्षिणी साधना में सबसे पहले चान्द्रायण का व्रत (Chandrayan ka Vrat) किया जाता है. अगर आप यक्षिणी साधना के खतरे से बचना चाहते है तो बेहतर होगा की सही निर्देशन के साथ इसका अभ्यास करे.

ये व्रत इतना कठिन है कि इसमें दिन के अनुसार भोजन की कौर ली जाती है यानि की प्रतिपदा के दिन एक कौर भोजन, दूज के दिन 2 कौर भोजन और इसी प्रकार से 1-1 कौर का भोजन बढ़ाते हुए पूर्णिमा तक और फिर पूर्णिमा से 1-1 कौर भोजन कम करते हुए अमावस्या तक इस व्रत को करना होता है.

इसमें यह नियम है की आप एक कौर भोजन से आलावा और कुछ भी नहीं खा सकते है. यक्षिणी साधना करने से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं.

इसके बाद यक्षिणी साधना में कुल “16 रुद्राभिषेक” भी किए जाते हैं, और साथ में महामृत्युंजय मंत्र – 51 हजार तथा कुबेर मंत्र – 51 हजार बार जप करने के बाद भगवान भूतनाथ शिवजी महाराज से आज्ञा ली जाती है. यक्षिणी साधना के खतरे और सावधानी का ध्यान में रखते हुए साधना का अभ्यास करे.

यक्षिणी साधना की इतनी शक्ति होती है कि सपनों के माध्यम से अगर साधक के श्रेष्ठ कर्म हों तो भोलेनाथ स्वयं सपने में आते हैं या शुभ स्वप्न या अशुभ स्वप्न दिखलाते है जिसे संकेत के तौर पर साधक को समझ कर उसके अनुरूप प्रार्थना करनी होती है.

अशुभ स्वप्न होने पर साधना वर्जित मानी जाती है अर्थात साधना नहीं करनी चाहिए. यदि साधना की गई तो वह फलीभूत नहीं होगी या फिर नुकसान ही नुकसान होगा. साधना के दौरान साधक को बहुत से बातों का ध्यान रखना होगा जैसे की : ब्रह्मचर्य, हविष्यान्न आदि.

साधना में और भी कई नियम माने जाते हैं तथा किसी विशेष प्रयोगों द्वारा यंत्र प्राप्त कर उसकी प्राण-प्रतिष्ठिता किया जाता है. इसमें जरूरी वस्तुएं, जो हर एक देवी की अलग-अलग होती हैं, उनका प्रयोग साधना में किया जाता है. सही जानकारी से ही आप यक्षिणी साधना के खतरे से बच सकते है.

अंत में, “पूर्णिमा” के दिन सारी रात जप तथा पूजन किया जाता है. ये सारी तांत्रिक साधनाएं बहुत ही शक्तिशाली या यूँ कह सकते है कि तलवार की धार पर चलने के समान होती हैं. जरा-सी चूक हुई तो नुकसान होगा ही होगा.

किसी भी आलसी तथा कायर व्यक्ति को यक्षिणी साधना के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए.

हो सके तो परिवार के सदस्यों को अपनी साधना करने के बारे में पहले से ही बता दें ताकि कोई बाधा – विघ्न यक्षिणी साधना के बीच में उत्पन्न न हो. मेहमान, फोन, इत्यादि का भी व्यवधान होता है, इसलिए इन सब से दूर रहना ही ठीक रहता है.

यक्षिणी साधना एकांत में ही करें तथा यक्षिणी साधना और पूजा के नियम किसी योग्य पंडित से पूछकर ही करना सही होगा यदि मालूम न हो तथा जैसा गुरु का निर्देश हो, वैसा ही करें. अगर यक्षिणी साधना के खतरे से बचना चाहते है तो यक्षिणी साधना की तैयारी का सही तरीका अपनाए.

यक्षिणी साधना की तैयारी 

  • यह साधना किसी एकांत स्थान पर करनी होती है, जहां कोई भी बाधा या विघ्न न आये.
  • यक्षिणी साधना मध्य रात्रि में ही की जाती है.
  • यक्षिणी साधना के पहले “यक्षिणी” की तस्वीर साधना स्थल पर लगा देना चाहिए.
  • यक्षिणी साधना काल में किसी भी तरह की अनुभूति हो तो उसे किसी को नहीं बताना चाहिए.
  • हवन और पूजा से सम्बंधित सम्पूर्ण सामग्री पहले से ही एकत्रित कर लें.
  • साधना स्थल पर पर्याप्त जल, भोजन और अन्य प्रकार की रोज की जरूरत की चीजें रख लें ताकी साधना छोड़कर कहीं जाना न पड़े.

यक्षिणी साधना की विधि 

  • किसी शुभ मुहूर्त लाल चंदन से भोजपत्र पर अनार की कलम द्वारा उक्त यक्षिणी का नाम लिखकर उसे आसन पर प्रतिष्ठित करने के बाद उचित रीति से आह्वान करते हुवे उनकी पूजा करें.
  • इसके पश्चात जिस भी यक्षिणी की तस्वीर आपने लगाई है उसी के मंत्र का जप आरंभ करें. मंत्रों की संख्या कम से कम 10 हजार और ज्यादा से ज्यादा 1 लाख तक होनी चाहिए.
  • जितने भी मंत्र जप का संकल्प लिया है उतना जप करने के बाद हवन करें. कम से कम 108 बार हवन में आहुति देकर हवन करें.
  • जप और हवन की समाप्ति के बाद साधक को वहीं सो जाना चाहिए. यह यक्षिणी साधना की संक्षिप्त विधि है. किन्तु आप ये यक्षिणी साधना किसी जानकार से पूछकर ही आरम्भ करें.

यक्षिणी साधना के खतरे

यक्षिणी साधना करने के कुछ मुख्य खतरे हमने नीचे बताए हैं. तो हमारी नीचे दी गई बातों का ध्यान में रखे. सही जानकारी आपको यक्षिणी साधना के खतरे से बचाएगी.

  • यक्षिणी साधना हमेशा अपने गुरु को पूछकर ही शुरू करनी चाहिए. आपके गुरु के बताए अनुसार यक्षिणी साधना करनी चाहिए. और उनके निर्देशानुसार चलना चाहिए. अगर आपके कोई गुरु नहीं हैं और आप अपने हिसाब से यक्षिणी साधना करते हैं. तो यक्षिणी साधना गलत हो सकती हैं. इससे आपको बहुत भारी नुकसान हो सकता हैं.
  • बिना गुरु के यक्षिणी साधना करना आपके लिए किसी खतरे से कम नहीं हैं.
  • ऐसा माना जाता है की यक्षिणी साधना करना बहुत ही कठिन काम हैं. मानो तलवार की धार पर चलने के समान हैं. अगर यक्षिणी साधना में जरा भी चुक होती हैं. तो आपको बहुत ही बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता हैं. यक्षिणी साधना के खतरे बहुत ज्यादा है. कुछ बड़े तांत्रिको का मानना है की कायर और आलसी किस्म के लोगो को यक्षिणी साधना कभी नहीं करनी चाहिए.
  • यक्षिणी साधना करने से पहले अपने परिवार वालों को बताना जरूरी होता हैं. क्योंकि यक्षिणी साधना करने में खतरा बना रहता हैं. अगर परिवार वालों को इस बारे में पता है. तो साधना के दौरान वह आप पर नजर रख सकते है. और कुछ भी बुरा-भला होने पर आपका साथ दे सकते हैं.
  • यक्षिणी साधना करने के दौरान अपने पास फ़ोन या कोई भी इलेक्ट्रिक उपकरण न रखे. क्योंकि ऐसे उपकरण आपकी साधना में खलेल पहुंचा सकते हैं. और इस वजह से यक्षिणी साधना करने में आपसे कोई भी चुक हो सकती हैं. अगर यक्षिणी साधना में चुक होती हैं. तो आपको बहुत बड़े खतरे का सामना करना पड़ सकता हैं.

इस प्रकार से कुछ बातों को ध्यान में रखते हुए यक्षिणी साधना करनी चाहिए.

FAQ

क्या यक्षिणी साधना करने से मनोकामना पूर्ति होती है ?

गुरु के निर्देशन में की गई साधना आपकी मनोकामना की पूर्ति करती है. अगर आप किसी तरह की उदेश्य की पूर्ती के लिए यक्षिणी साधना कर रहे है तो आपको सबसे पहले यक्षिणी के बारे में पता होना चाहिए. हर उदेश्य के लिए अलग अलग यक्षिणी है इसलिए आपको इसके बारे में सही जानकारी होनी चाहिए.

यक्षिणी साधना कब करनी चाहिए ?

यक्षिणी साधना करने का सबसे सही समय रात का होता है.

कुल कितनी यक्षिणी होती है ?

जानकारी के अनुसार 36 प्रकार की यक्षिणी होती है और अलग अलग उदेश्य के लिए अलग अलग यक्षिणी की साधना की जाती है.

यक्षिणी को कैसे बुलाया जाए?

अनुरागिणी यक्षिणी शुभ्रवर्णा है और यह साधक की इच्छा होने पर उसके साथ रास-उल्लास भी करती है। इस यक्षिणी को सिद्ध करने का मंत्र : ॐ ह्रीं अनुरागिणी आगच्छ स्वाहा ॥ यह साधना घर में नहीं किसी एकांत स्थान पर करना होती है, जहां कोई विघ्न न डाले। उक्त साधना नित्य रात्रि में की जाती है।

क्या यक्षिणी सच में होती है?

बिलकुल ! यक्षिणी (या यक्षी ; पालि: यक्खिनी या यक्खी ) हिंदू, बौद्ध और जैन धार्मिक पुराणों में वर्णित एक वर्ग है जो देवों (देवताओं), असुरों (राक्षसों), और गन्धर्वों या अप्सराओं से अलग हैं। यक्षिणी और यक्ष, भारत के सदियों पुराने पवित्र पेड़ों से जुड़े कई अपसामान्य प्राणियों में से एक हैं।

यक्षिणी क्या क्या कर सकती है?

साधक पर प्रसन्न होने पर उसे नित्य धन, मान, यश आदि प्रदान करती है और साधक की इच्छा होने पर सहायता करती है।

यक्षिणी की पूजा कैसे करें?

ॐ ह्रीं आगच्छ-आगच्छ रतिप्रिये स्वाहा। ‘ एकांत कमरे में चित्र बनाकर नित्य पूजन तथा जप रात्रि में किया जाता है। समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top